जीवन मंत्र
💐💎 जीवन मंत्र 💎💐
१) धीरे बोलिये 👉 शांति मिलेगी
२) अहम छोडिये 👉 बड़े बनेंगे
३) भक्ति कीजिए 👉 मुक्ति मिलेगी
४) विचार कीजिए 👉 ज्ञान मिलेगा
५) सेवा कीजिए 👉 शक्ति मिलेगी
६) सहन कीजिए 👉 देवत्व मिलेगा
७) संतोषी बनिए 👉 सुख मिलेगा.
"इतना छोटा कद रखिए कि
सभी आपके साथ बैठ सकें
और
इतना बडा मन रखिए कि
जब आप खडे हो जाऐं तो कोई बैठा न रह सके"
पापा, क्या मैंने आपको कभी रुलाया ??
तुम घुटनों और हाथों के बल सरकती आगे बढ़ीं,
Pain makes you
Never ignore
ये बहुत महत्वपूर्ण है ..
ये जीवन है ;
पेन्सिल ने अफ़सोस के साथ इररेज़र से कहा कि
मेरी गलतियों को मिटाने के लिए तुम्हे हर बार अपना एक हिस्सा कुर्बान कर देना पड़ता है |
इररेज़र (लिखा हुआ मिटने वाला रबर } बोला
यही तो मेरा काम है,
जिसमे मेरी सार्थकता है |
मै बिना घिसे रह गया तो मेरे होने का क्या मतलब !
हम भी इररेज़र की तरह है |
यदि समय, उर्जा, धन, आनंद शरीर खो देने डर से कुछ अच्छा न करे
....... तो हमारे होने का क्या अर्थ है |
ગજબનું મૂલ્યાંકન કહેવાય !
ગરીબ નું બાળક પોતાના કુટુંબને મદદરૂપ થવા માટે
સગીર વયે કામ કરે તો તે બાળ મજૂર કહેવાય.
અને બીજી બાજુ શ્રીમંત નું બાળક
સગીર વયે ફિલ્મ કે ટી.વી માં કામ કરે તો તેને બાળ કલાકાર કહેવાય.
ગજબનું મૂલ્યાંકન કહેવાય !
*सुंदरता हो न हो* ,
🙏 आज का सुविचार 🙏
*सुंदरता हो न हो* ,
*सादगी होनी चाहिए* ,
*खुशबू हो न हो* ,
*महक होनी चाहिए* ,
*रिश्ता हो न हो* ,
*बंदगी होनी चाहिए* ,
*मुलाकात हो न हो* ,
*बात होनी चाहिए* ,
*यूं तो उलझे है सभी अपनी उलझनों में*,
*पर सुलझाने की कोशिश हमेशा होनी चाहिए* ।।
भाग्यशाली मैं नहीं तुम हो...
🙏🏻🙏🏻🙏🏻💐🌞💐🙏🏻🙏🏻🙏🏻
अचानक एक मोड़ पर सुख और दुःख की मुलाकात हो गई
दुःख ने सुख से कहा : -
तुम कितने भाग्यशाली हो ,
जो लोग तुम्हें पाने की कोशिश में लगे रहते हैं....
सुख ने मुस्कराते हुए कहा : -
भाग्यशाली मैं नहीं तुम हो...!
दुःख ने हैरानी से पूछा : - "वो कैसे?
सुख ने बड़ी ईमानदारी से जवाब दिया : -
वो ऐसे कि तुम्हें पाकर लोग अपनों
को याद करते हैं ,
लेकिन मुझे पाकर सब अपनों को भूल जाते हैं।।
💐🍁🌞 🌞🍁💐
गुस्सा और तूफान दोनों ऐक जैसे ही हैं....
💯✔गुस्सा और तूफान दोनों ऐक जैसे ही हैं....
ठंडा होने के बाद पता चलता है ,
कितना नुकसान हुआ है ,
बहुत सुन्दर शब्द जो
एक मंदिर के दरवाज़े पर लिखे थे :
सेवा करनी है तो, घड़ी मत देखो !
प्रसाद लेना है तो, स्वाद मत देखो !
सत्संग सुनाना है तो, जगह मत देखो !
बिनती करनी है तो, स्वार्थ मत देखो !
समर्पण करना है तो, खर्चा मत देखो !
रहमत देखनी है तो, जरूरत मत देखो !!
सख़्त हाथों से भी
छूट जाती हैं कभी उंगलियाँ
रिश्ते ज़ोर से नहीं
तमीज से थामे जाते हैं.....
सुप्रभात💐
मंगल हो.🌹🌸
Believe in YOUR self
क्या तुमने दशावतार के बारे में सुना है ?
एक माँ अपने पूजा-पाठ से फुर्सत पाकर अपने विदेश में रहने वाले बेटे से फोन पर बात करते समय पूँछ बैठी: ... बेटा! कुछ पूजा-पाठ भी करते हो या फुर्सत ही नहीं मिलती?
बेटे ने माँ को बताया - "माँ, मैं एक आनुवंशिक वैज्ञानिक हूँ ...
मैं अमेरिका में मानव के विकास पर काम कर रहा हूँ ...
विकास का सिद्धांत, चार्ल्स डार्विन... क्या आपने उसके बारे में सुना है ?"
उसकी माँ मुस्कुरा कर बोली - “मैं डार्विन के बारे में जानती हूँ, बेटा ... मैं यह भी जानती हूँ कि तुम जो सोचते हो कि उसने जो भी खोज की, वह वास्तव में सनातन-धर्म के लिए बहुत पुरानी खबर है...“
“हो सकता है माँ !” बेटे ने भी व्यंग्यपूर्वक कहा ...
“यदि तुम कुछ होशियार हो, तो इसे सुनो,” उसकी माँ ने प्रतिकार किया...
... “क्या तुमने दशावतार के बारे में सुना है ? विष्णु के दस अवतार ?”
बेटे ने सहमति में कहा "हाँ! पर दशावतार का मेरी रिसर्च से क्या लेना-देना?"
माँ फिर बोली: लेना-देना है मेरे लाल... मैं तुम्हें बताती हूँ कि तुम और मि. डार्विन क्या नहीं जानते हैं ?
पहला अवतार था मत्स्य अवतार, यानि मछली | ऐसा इसलिए कि जीवन पानी में आरम्भ हुआ | यह बात सही है या नहीं ?”
बेटा अब और अधिक ध्यानपूर्वक सुनने लगा |
उसके बाद आया दूसरा कूर्म अवतार, जिसका अर्थ है कछुआ, क्योंकि जीवन पानी से जमीन की ओर चला गया 'उभयचर (Amphibian)' | तो कछुए ने समुद्र से जमीन की ओर विकास को दर्शाया |
तीसरा था वराह अवतार, जंगली सूअर, जिसका मतलब जंगली जानवर जिनमें बहुत अधिक बुद्धि नहीं होती है | तुम उन्हें डायनासोर कहते हो, सही है ? बेटे ने आंखें फैलाते हुए सहमति जताई |
चौथा अवतार था नृसिंह अवतार, आधा मानव, आधा पशु, जंगली जानवरों से बुद्धिमान जीवों तक विकास |
पांचवें वामन अवतार था, बौना जो वास्तव में लंबा बढ़ सकता था | क्या तुम जानते हो ऐसा क्यों है ? क्योंकि मनुष्य दो प्रकार के होते थे, होमो इरेक्टस और होमो सेपिअंस, और होमो सेपिअंस ने लड़ाई जीत ली |"
बेटा दशावतार की प्रासंगिकता पर स्तब्ध हो रहा था जबकि उसकी माँ पूर्ण प्रवाह में थी...
छठा अवतार था परशुराम - वे, जिनके पास कुल्हाड़ी की ताकत थी, वो मानव जो गुफा और वन में रहने वाला था | गुस्सैल, और सामाजिक नहीं |
सातवां अवतार था मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम, सोच युक्त प्रथम सामाजिक व्यक्ति, जिन्होंने समाज के नियम बनाए और समस्त रिश्तों का आधार |
आठवां अवतार था जगद्गुरु श्री कृष्ण, राजनेता, राजनीतिज्ञ, प्रेमी जिन्होंने ने समाज के नियमों का आनन्द लेते हुए यह सिखाया कि सामाजिक ढांचे में कैसे रहकर फला-फूला जा सकता है |
नवां अवतार था भगवान बुद्ध, वे व्यक्ति जो नृसिंह से उठे और मानव के सही स्वभाव को खोजा | उन्होंने मानव द्वारा ज्ञान की अंतिम खोज की पहचान की |
और अंत में दसवां अवतार कल्कि आएगा, वह मानव जिस पर तुम काम कर रहे हो | वह मानव जो आनुवंशिक रूप से अति-श्रेष्ठ होगा |
बेटा अपनी माँ को अवाक होकर सुनता रहा |
अंत में बोल पड़ा "यह अद्भुत है माँ, भारतीय दर्शन वास्तव में अर्थपूर्ण है |"
वन्देमातरम ....!!!
...पुराण अर्थपूर्ण हैं | सिर्फ आपका देखने का नज़रिया होना चाहिए धार्मिक या वैज्ञानिक ?
सुंदरता हो न हो* ,
*सादगी होनी चाहिए* ,
*खुशबू हो न हो* ,
*महक होनी चाहिए* ,
*रिश्ता हो न हो* ,
*बंदगी होनी चाहिए* ,
*मुलाकात हो न हो* ,
*बात होनी चाहिए* ,
*यूं तो उलझे है सभी अपनी उलझनों में*,
*पर सुलझाने की कोशिश हमेशा होनी चाहिए* ।।