*सुंदर पंक्तियां -*
*समय की .. इस अनवरत बहती धारा में ..*
*अपने चंद सालों का .. हिसाब क्या रखें .. !!*
*जिंदगी ने .. दिया है जब इतना .. बेशुमार यहाँ ..*
*तो फिर .. जो नहीं मिला उसका हिसाब क्या रखें .. !!*
*दोस्तों ने .. दिया है .. इतना प्यार यहाँ ..*
*तो दुश्मनी .. की बातों का .. हिसाब क्या रखें .. !!*
*दिन हैं .. उजालों से .. इतने भरपूर यहाँ ..*
*तो रात के अँधेरों का .. हिसाब क्या रखे .. !!*
*खुशी के दो पल .. काफी हैं .. खिलने के लिये ..*
*तो फिर .. उदासियों का .. हिसाब क्या रखें .. !!*
*हसीन यादों के मंजर .. इतने हैं जिंदगानी में ..*
*तो चंद दुख की बातों का .. हिसाब क्या रखें .. !!*
*मिले हैं फूल यहाँ .. इतने किन्हीं अपनों से ..*
*फिर काँटों की .. चुभन का हिसाब क्या रखें .. !!*
*चाँद की चाँदनी .. जब इतनी दिलकश है ..*
*तो उसमें भी दाग है .. ये हिसाब क्या रखें .. !!*
*जब खयालों से .. ही पुलक ..* *भर जाती हो दिल में ..*
*तो फिर मिलने .. ना मिलने का .. हिसाब क्या रखें .. !!*
*कुछ तो जरूर .. बहुत* *अच्छा है .. सभी में यारों ..*
*फिर जरा सी .. बुराइयों का .. हिसाब क्या रखें .. !!!*