सिविल इंजीनियर के शब्दों में पत्नी की तारीफ़ 😜😜😜😜
ऐ मेरी हमसफर तुम बहुत खूबसूरत लगती हो।
प्यार के वक्त हो balanced section की तरह,
मगर गुस्से में over reinforced लगती हो।
ये तुम्हारे माथे पर दमकती बिंदिया लगती है ऐसे,
किसी cover plate पर rivet लगी हो जैसे।
ये suspension cables सी तुम्हारी चोटी,
आँखे जैसे liquid limit apparatus की bowl रखी हो।
तुम्हारी नाक है rain water sewer की तरह,
होंठ, दो bricks जैसे, कहीं कहीं से over burnt हो गयी हो।
ये गर्दन है तुम्हारी या measuring glass है,
पेट तुम्हारा है जैसे rain gauge की bottle रखी हो।
ये circular girder सी कमर,
तुम तो two column supported कोई intze tank लगती हो।
तुम्हारे साँवले सलोने रंग पर तो मैं सदके जाऊँ,
जैसे किसी रोड़ पर bitumen की prime coat लगी हो।
मैं लाया था तो तुम एक slender column की तरहा थी,
अब तुम क्यों मगर फूल कर gravity dam हुई हो।
तुम्हारी तारीफ में क्या शेर ओ नज्म लिखूँ, ऐ जाने जहाँ मेरी,
shap और size से तो पूरी खन्ना की handbook लगती हो।
ऐ मेरी हमसफर तुम बहुत खूबसूरत लगती हो।