अपना ग़म लेके कही और न जाया जाये,
घर में बिखरी हुई चीजो को सजाया जाये !
जिन चिरागों को हवाओ का कोई खौफ नहीं,
उन चिरागों को हवाओ से बचाया जाये !
बाग़ में जाने के आदाब हुआ करते थे,
किसी तितली को न फूलो से उड़ाया जाये !
ख़ुदकुशी करने कि हिम्मत नहीं होती सब में,
और कुछ दिन यु ही औरो को सताया जाये !
घर से मस्जिद है बहुत दूर चलो यु कर ले,
किसी रोते हुए बच्चे को हसाया जाये !
- निदा फाजली