*✨✨बहुत सुंदर पंक्तियाँ✨✨*
*"रहता हूं किराये की काया में,*
*रोज़ सांसों को बेच कर* *किराया चूकाता हूं...!*
-
*मेरी औकात है बस मिट्टी* *जितनी,*
*बात मैं महल मिनारों की कर* *जाता हूं...!*
-
*जल जायेगी ये मेरी काया* *एक दिन,*
*फिर भी इसकी खूबसूरती पर* *इतराता हूं...!*
-
*मुझे पता हे मैं खुद के सहारे* *श्मशान तक भी ना जा सकूंगा,*
*इसीलिए जमाने में दोस्त बनाता हूँ ...!!"*