वैष्णव के गले में तुलसी की कण्ठी
वैष्णव इसलिये गले में तुलसी की कण्ठी धारण करते हैं ।
ये शरीर भोग के लिये नहीं है-यह शरीर भगवान् को अर्पण हो गया ।
जिस वस्तु में आप तुलसी-पत्र रखतेहो, वह कृष्णार्पण हो जाती है ।
जिस वस्तु में आप तुलसी-पत्र रखतेहो, वह कृष्णार्पण हो जाती है ।
तुलसी-पत्र के बिना भगवान् स्वीकार नहीं करते।
गले में तुलसी की माला धारण करने का अर्थ यह है कि,
यह शरीर अब भगवान् को अर्पण हुआ है ।
अब यह शरीर भगवान् का है सो अब नीजी भोग के लिये नहीं है ।
बहुत-से लोग गले में तुलसी की कंठी तो धारण करते हैं-
बहुत-से लोग गले में तुलसी की कंठी तो धारण करते हैं-
उसका अर्थ नहीं समझते ।
जय श्री कृष्ण, हरी बोल