गुरु और भगवान में एक अंतर है।

गुरु और भगवान में एक अंतर है।



एक आदमी के घर भगवान और गुरु दोनो पहुंच गये।

वह बाहर आया और चरणों में गिरने लगा।

वह भगवान के चरणों में गिरा तो भगवान बोले- रुको रुको पहले गुरु के चरणों में जाओ।

वह दौड़ कर गुरु के चरणों में गया।

गुरु बोले- मैं भगवान को लाया हूँ,
पहले भगवान के चरणों में जाओ।

वह भगवान के चरणों में गया तो भगवान बोले- इस भगवान को गुरु ही लाया है न,

गुरु ने ही बताया है न,

तो पहले गुरु के चरणों में जाओ।

फिर वह गुरु के चरणों में गया।

गुरु बोले- नहीं नहीं मैंने तो तुम्हें बताया ही है न,
लेकिन तुमको बनाया किसने ?
भगवान ने ही तो बनाया है न।
इसलिये पहले भगवान के चरणों में जाओ।

वो फिर वह भगवान के चरणों में गया।
भगवान बोले- रुको मैंने तुम्हें बनाया, यह सब ठीक है।
तुम मेरे चरणों में आ गये हो।
लेकिन मेरे यहाँ न्याय की पद्धति है।
अगर तुमने अच्छा किया है,
अच्छे कर्म किये हैं,
तो तुमको स्वर्ग मिलेगा।
मुक्ति मिलेगी।
अच्छा जन्म मिलेगा।
अच्छी योनि मिलेगी।
लेकिन अगर तुम बुरे कर्म करके आए हो,
तो मेरे यहाँ दंड का प्रावधान भी है।
दंड मिलेगा।
चौरासी लाख योनियों में भटके जाओगे।
फिर अटकोगे, फिर तुम्हारी आत्मा को कष्ट होगा।
फिर नरक मिलेगा, और अटक जाओगे।

क्या ये संभव है...??



एक विचारक ने कहा ...
कि मनुष्य में धैर्य हो तो बड़ी से बड़ी 
समस्या का समाधान हो सकता है
व्यक्ति ने प्रति प्रश्न किया ..

कि क्या धैर्य से आप छलनी में पानी 
को ठहरा सकते हो... 
क्या ये संभव है...??

विचारक का जवाब था कि.....
'पानी' को 'बर्फ़' बनने तक का 
तुम में 'धैर्य' होगा तो...

यह भी संभव है.....💐

શિક્ષક અને શિષ્ય નો સબંધ..


મિસ.આયસા એક નાના શહેરની પ્રાથમિક શાળામાં ધોરણ 5ની શિક્ષિકા હતા. તેમની એક ટેવ હતી તેઓ ભણાવવાનું શરુ કરતા પહેલા હંમેશા "આઈ લવ યું ઓલ" બોલતા. પણ તે જાણતા હતા કે તે સાચુ નથી બોલી રહ્યા,  તે ક્લાસનાં બધા છોકરાઓને એટલો પ્રેમ નથી કરતા.ક્લાસમાં એક એવો છોકરો પણ હતો જેને મિસ.આયસાને જોવો પણ ન ગમતો.

  તેનું નામ હતું રાજુ. રાજુ ખરાબ ને મેલી સ્થિતીમાં શાળાએ આવ-જા કરતો. તેના વાળ ખરાબ હોય, બુટની દોરી ખુલેલી હોય, અને શર્ટનાં કોલર પર મેલનાં નિશાન હોય. ભણાવતી વખતે પણ એનું ધ્યાન બીજે ક્યાંક રહેતું. મિસ.આયસા તેને વઢે એટલે ચોંકીને તેમની સામે જોતો,  તેના પરથી ચોખ્ખુ લાગતું કે તે ક્લાસમાં શારીરિક રીતે હાજર હોવા છતાં પણ માનસિક રીતે તે ક્લાસમાં નથી. ધીમે ધીમે મિસ.આયસાને રાજુ પ્રત્યે નફરત જેવું થવા લાગ્યું. ક્લાસમાં દાખલ થવાની સાથે જ તે મિસ.આયસા નાં ધીક્કારનો નીશાન બનવા લાગતો. બધાં જ ખરાબ અને કુટેવવાળા ઉદાહરણ રાજુંને સંબોધીને જ કરવામાં આવતા.  અને બીજા છોકરાઓ ખીલખીલાટ તેની ઠેકડી ઉડાવતા.

     મિસ.આયસાને રાજુંને અપમાનિત કરીને સંતોષ થતો. જો કે રાજુંએ ક્યારેય પણ કોઈ વાતનો કોઈ જવાબ નહોતો આપ્યો. મિસ.આયસાને તે એક બેજાન પથ્થર ની જેવો લાગતો,  જેની અંદર મહેસૂસ નામ ની કોઈ વસ્તુ હતી જ નહી.  બધી જ ડાંટ અને વ્યંગ અને સજાનો જવાબમાં તે પોતાની ભાવનાભેર નજરથી મિસ.આયસાને જોતો અને પોતાની નજર નીચે કરી નાખતો. મિસ.આયસાને હવે તેના પ્રત્યે બહુ જ ઘીન્ન થવા લાગી હતી.

  પહેલું સેમેસ્ટર પુરુ થયું. અને રીપોર્ટ બનાવવાનો સમય આવ્યો તો મિસ.આયસાએ રાજુ ના પ્રગતિ રીપોર્ટમાં આ બધા વીકપોઈન્ટ જ લખ્યા. પ્રગતિ રીપોર્ટ મમ્મી પપ્પાને દેખાડતાં પહેલા પ્રીન્સિપલ પાસે જતો. પ્રીન્સિપલે જ્યારે રાજુ નો પ્રગતિ રીપોર્ટ જોયો તો મિસ.આયસાને બોલાવ્યા. મિસ.આયસા પ્રગતિ રીપોર્ટ માં કંઈક તો પ્રગતિ લખવી હતી. તમે જે પણ લખ્યું છે તેનાથી રાજુનાં પપ્પા નારાજ થઈ જશે. "હું માફી માંગુ છુ" પણ રાજુ સાવ અસ્થિત અને ઠોઠ વિદ્યાર્થી છે.  મને નથી લાગતું કે હું તેની પ્રગતિમાં કશું લખી શકુ. મિસ.આયસા સહેજ ગુસ્સાભર્યા શબ્દોમાં બોલીને જતાં રહ્યા.          પ્રીન્સિપલને કંઈક સુજ્યુ, તેમને પટ્ટાવાળા ના હાથે મિસ.આયસાનાં ટેબલ પર રાજુનાં ગયા વર્ષોનાં પ્રગતિ રીપોર્ટ મુકાવી દીધા. બીજા દિવસે મિસ.આયસા એ ક્લાસમાં પ્રવેશ કર્યો તો તેમની નજર રીપોર્ટ પર પડી. ફેરવીને જોયો તો રાજુનો રીપોર્ટ હતો. પાછળનાં વર્ષોમાં પણ આવું જ કર્યુ હશે તેવું મનોમન વિચારી લીધું અને ક્લાસ 3 નો રીપોર્ટ જોયો. રીપોર્ટ વાંચીને તેમની આશ્ચર્યની કોઈ હદ ના રહી જ્યારે તેમને જોયું કે રીપોર્ટ તો વખાણ અને સારા પોઈન્ટથી ભરેલી હતી.

51 शक्ति पीठो का विवरण


51 शक्ति पीठो का विवरण 
(Details of 51 Shakti Peethas) :



1. किरीट शक्तिपीठ  (Kirit Shakti Peeth) :
किरीट शक्तिपीठ, पश्चिम बंगाल के हुगली नदी के तट लालबाग कोट पर स्थित है।  यहां सती माता का किरीट यानी शिराभूषण या मुकुट गिरा था। यहां की शक्ति विमला अथवा भुवनेश्वरी तथा भैरव संवर्त हैं।
(शक्ति का मतलब माता का वह रूप जिसकी पूजा की जाती है तथा भैरव का मतलब शिवजी का वह अवतार जो माता के इस रूप के स्वांगी है )

2. कात्यायनी शक्तिपीठ  (Katyayani Shakti Peeth ) :
वृन्दावन, मथुरा के भूतेश्वर में स्थित है कात्यायनी वृन्दावन शक्तिपीठ जहां सती का केशपाश गिरा था। यहां की शक्ति देवी कात्यायनी हैं तथा भैरव भूतेश है। 

3. करवीर शक्तिपीठ  (Karveer shakti Peeth) :
महाराष्ट्र के कोल्हापुर में स्थित है यह शक्तिपीठ, जहां माता का त्रिनेत्र गिरा था। यहां की शक्ति महिषासुरमदिनी तथा भैरव क्रोधशिश हैं। यहां महालक्ष्मी का निज निवास माना जाता है।

4. श्री पर्वत शक्तिपीठ  (Shri Parvat Shakti Peeth) :
इस शक्तिपीठ को लेकर विद्वानों में मतान्तर है कुछ विद्वानों का मानना है कि इस पीठ का मूल स्थल लद्दाख है, जबकि कुछ का मानना है कि यह असम के सिलहट में है जहां माता सती का दक्षिण तल्प यानी कनपटी गिरा था। यहां की शक्ति श्री सुन्दरी एवं भैरव सुन्दरानन्द हैं।

5. विशालाक्षी शक्तिपीठ   (Vishalakshi Shakti Peeth) :
उत्तर प्रदेश, वाराणसी के मीरघाट पर स्थित है शक्तिपीठ जहां माता सती के दाहिने कान के मणि गिरे थे। यहां की शक्ति विशालाक्षी तथा भैरव काल भैरव हैं।

6. गोदावरी तट शक्तिपीठ  (Godavari Coast Shakti Peeth) :
आंध्रप्रदेश के कब्बूर में गोदावरी तट पर स्थित है यह शक्तिपीठ, जहां माता का वामगण्ड यानी बायां कपोल गिरा था। यहां की शक्ति विश्वेश्वरी या रुक्मणी तथा भैरव दण्डपाणि हैं। 

7. शुचीन्द्रम शक्तिपीठ  (Suchindram shakti Peeth) :
तमिलनाडु, कन्याकुमारी के त्रिासागर संगम स्थल पर स्थित है यह शुची शक्तिपीठ, जहां सती के उफध्र्वदन्त (मतान्तर से पृष्ठ भागद्ध गिरे थे। यहां की शक्ति नारायणी तथा भैरव संहार या संकूर हैं।

8. पंच सागर शक्तिपीठ (Panchsagar Shakti Peeth) :
इस शक्तिपीठ का कोई निश्चित स्थान ज्ञात नहीं है लेकिन यहां माता का नीचे के दान्त गिरे थे। यहां की शक्ति वाराही तथा भैरव महारुद्र हैं।

9. ज्वालामुखी शक्तिपीठ (Jwalamukhi Shakti Peeth) :
हिमाचल प्रदेश के काँगड़ा में स्थित है यह शक्तिपीठ, जहां सती का जिह्वा गिरी थी। यहां की शक्ति सिद्धिदा व भैरव उन्मत्त हैं।

10. भैरव पर्वत शक्तिपीठ  (Bhairavparvat Shakti Peeth) :
इस शक्तिपीठ को लेकर विद्वानों में मतदभेद है। कुछ  गुजरात के गिरिनार के निकट भैरव पर्वत को तो कुछ मध्य प्रदेश के उज्जैन के निकट क्षीप्रा नदी तट पर वास्तविक शक्तिपीठ मानते हैं, जहां माता का उफध्र्व ओष्ठ गिरा है। यहां की शक्ति अवन्ती तथा भैरव लंबकर्ण हैं।

BHAGWAD GITA in one sentence per chapter...

BHAGWAD GITA in one sentence per chapter...



Chapter 1
Wrong thinking is the only problem in life

Chapter 2
Right knowledge is the ultimate solution to all our problems

Chapter 3
Selflessness is the only way to progress and prosperity

Chapter 4
Every act can be an act of prayer

Chapter 5
Renounce the ego of individuality & rejoice in the bliss of infinity

Chapter 6
Connect to the Higher consciousness daily

Chapter 7
Live what you learn

Chapter 8
Never give up on yourself

Chapter 9
 Value your blessings

Chapter 10
See divinity all around

Chapter 11
Have enough surrender to see the Truth as it is

ઈશ્વર ધી બેસ્ટ ઍન્જિનિયર

G“ઈશ્વર ધી બેસ્ટ ઍન્જિનિયર”



આંખરૂપી કૅમરા ગોઠવ્યા,

કાનરૂપી રિસીવર આપ્યા,

હાર્ડડિસ્ક મૂકી દિમાગમાં,

હ્રદયરૂપી ઍન્જિન મૂક્યુ,

લોહીને બનાવ્યુ ઈંધણ,

ને ઍન્જિન જ ટાંકી ઈંધણની,

ને પછી લાંબી પાઈપલાઈન,

હાડમાંસથી બૉડી બનાવી,

કવર ચઢાવ્યુ ચામડીનુ,

કીડનીરૂપી ફિલ્ટર મૂક્યુ,

હવાની લેવડદેવડ માટે ફેફસા,

જે ઇનપુટની લાઈન મૂકી  તે જ

સારા માણસો ..


महावाक्य है तत्त्वमसि : ओशो


महावाक्य है तत्त्वमसि : ओशो

तत्त्वमसि का अर्थ है, वह तू ही है। वह दूर नहीं है, बहुत पास है, पास से भी ज्यादा पास है। तेरा होना ही वही है। यह महावाक्य है। महावाक्य का अर्थ होता है कि अगर इस एक वाक्य को भी पकड़ कर कोई पूरा अनुसंधान कर ले, तो जीवन की परम स्थिति को उपलब्ध हो जाए। इसलिए इसको महावाक्य कहते हैं।
फिर किसी शास्त्र की कोई भी जरूरत नहीं है, और किसी वेद और किसी कुरान और बाइबिल की कोई जरूरत नहीं है। तत्त्वमसि पर्याप्त वेद है। इस एक वाक्य का कोई ठीक से श्रवण कर ले, मनन कर ले, निदिध्यासन कर ले, समाधि कर ले, तो किसी और शास्त्र की कोई जरूरत नहीं है।

महावाक्य का अर्थ है: पुंजीभूत, जिसमें सब आ गया हो। यह महावाक्य आध्यात्मिक केमिस्ट्री का फार्मूला है। इसमें तीन बातें कही हैं तत्, वह, त्वम्, तू; दोनों एक हैं -- तीन बातें हैं। वह और तू एक हैं, बस इतना ही यह सूत्र है। लेकिन सारा वेदांत, सारा अनुभव ऋषियों का, इन तीन में आ जाता है। यह जो गणित जैसा सूत्र है वह - अस्तित्व, परमात्मा और तू वह जो भीतर छिपी चेतना है वह, ये दो नहीं हैं, ये एक हैं। इतना ही सार है समस्त वेदों का, फिर बाकी सब फैलाव है।
इसलिए इस तरह के वाक्य को उपनिषदों में महावाक्य कहा गया है। इस तरह के वाक्य पूर्ण मौन में सुने जाने चाहिए।
इसलिए हजारों साल तक भारत में ऋषियों का आग्रह रहा कि जो परम ज्ञान है, वह लिखा न जाए। उनका आग्रह बड़ा कीमती था। लेकिन उसे पूरा करना असंभव था। लिखना पड़ा।
बहुत लोग, विशेषकर भाषाशास्त्री, लिंग्विस्ट सोचते हैं कि चूंकि लिपि नहीं थी, लिखने का उपाय नहीं था, इसलिए बहुत दिन तक वेद और उपनिषद नहीं लिखे गए।

ભૂલ સુધારી શકાય ..


आपके पास सिर्फ सात दिन बचे है ..तो ..





सुखी रहने का महामन्त्र

एक बार की बात है संत तुकाराम अपने आश्रम में बैठे हुए थे। तभी उनका एक शिष्य, जो स्वाभाव से थोड़ा क्रोधी था उनके समक्ष आया और बोला, ” गुरूजी, आप कैसे अपना व्यवहार इतना मधुर बनाये रहते हैं, ना आप किसी पे क्रोध करते हैं और ना ही किसी को कुछ भला-बुरा कहते हैं?”

      कृपया अपने इस अच्छे व्यवहार का रहस्य बताइए।

संत बोले,” मुझे अपने रहस्य के बारे में तो नहीं पता, पर मैं तुम्हारा रहस्य
जानता हूँ !”

   “मेरा रहस्य! वह क्या है गुरु जी?”,
शिष्य ने आश्चर्य से पूछा।
” तुम अगले एक हफ्ते में मरने वाले
हो!”, संत तुकाराम दुखी होते हुए बोले।
    कोई और कहता तो शिष्य ये बात
मजाक में टाल सकता था, पर स्वयं संत तुकाराम के 
मुख से निकली बात को कोई कैसे काट सकता था?

     शिष्य उदास हो गया और गुरु का
आशीर्वाद ले वहां से चला गया।
उस समय से शिष्य का स्वाभाव
बिलकुल बदल सा गया। वह हर किसी से प्रेम से मिलता और कभी किसी पे क्रोध न करता, 
अपना ज्यादातर समय ध्यान और पूजा में लगाता। वह उनके पास भी जाता जिससे 
उसने कभी गलत व्यवहार किया हो और उनसे माफ़ी मांगता।

देखते-देखते संत की भविष्यवाणी को
एक हफ्ते पूरे होने को आये। शिष्य ने
सोचा चलो एक आखिरी बार गुरु के
दर्शन कर आशीर्वाद ले लेते हैं।
वह उनके समक्ष पहुंचा और बोला, ”
गुरु जी, मेरा समय पूरा होने वाला है,

Stop trying..



STOP TRYING TO
MAKE EVERYBODY HAPPY.

YOU ,
ARENT
CHOCOLATE.

Touch the people.


Don's always need plan..

प्रभात दर्शन - मैं और मेरा परिवार ...

प्रभात दर्शन -

रत्नाकराधौतपदां हिमालयकिरीटिनीम,
ब्रह्नराजर्षिरत्नाढ्यां वन्दे मातरम्।

अर्थ-

सागर जिसके चरण धो रहा है,
हिमालय जिसका मुकुट है
और जो ब्रह्मर्षि तथा राजर्षि रूपी रत्नों से समृद्ध हैं,
ऐसी भारत-माता की मैं वन्दना करता हूँ।



प्रभात दर्शन -    

" मैं और मेरा परिवार ... 

यहीं से हमारे दिन का प्रारम्भ और इसी पर समाप्त होता है।
अपने लिए तो पशु भी जीते हैं,
किन्तु मनुष्य को इसीलिए श्रेष्ठ कहा गया है
क्योंकि मनुष्य में अन्य के लिए सोचने एवं भलाई करने का गुण होता है।

   आज का मनुष्य समृद्ध हो रहा है,
किन्तु अंदर से खाली हो रहा है।
एक बार चिंतन अवश्य करें कि
हम समाज, राष्ट्र से कितना लेते हैं और कितना वापिस देते हैं"

My Life My Wife कभी मत भूलना.....

शादी शुदा लोग जरूर पढ़े आनन्द आएगा

कॉलेज में Happy married life पर

एक  कार्यक्रम हो रहा था,

 जिसमे कुछ शादीशुदा

 जोडे हिस्सा ले रहे थे।

जिस समय प्रोफेसर  मंच पर आए

उन्होने नोट किया कि सभी

पति- पत्नी शादी पर

जोक कर  हँस रहे थे...

ये देख कर प्रोफेसर ने कहा

 कि चलो पहले  एक Game खेलते है...

उसके बाद  अपने विषय पर बातें करेंगे।

सभी  खुश हो गए

और कहा कोनसा Game ?

प्रोफ़ेसर ने एक married

 लड़की को खड़ा किया

और कहा कि तुम ब्लेक बोर्ड पे

 ऐसे 25- 30 लोगों के  नाम लिखो

जो तुम्हे सबसे अधिक प्यारे हों

लड़की ने पहले तो अपने परिवार के

लोगो के नाम लिखे

फिर अपने सगे सम्बन्धी,

 दोस्तों,पडोसी और

किन किन रिश्तों में पुरुष का नाम पहले आता है..


किन किन रिश्तों में पुरुष का नाम पहले आता है

दादा.दादी
नाना.नानी
मामा.मामी
काका .काकी
भइया.भाभी
पती.पत्नी

लेकिन सिर्फ एक रिश्ता है ऐसा है
जिसमे पुरुष बाद में आता हैऔर वो है

माँ बाप का

माँ-बाप साक्षात भगवान का रूप होते है ,
क्योंकि भगवान के ही नामों मे
पहले स्त्री का नाम आता है ,

जैसे….
गौरी शंकर , लक्ष्मी नारायण ,सीता राम ,राधे कृष्ण…

માનસીક તાણથી બચવાના ૨૦ ઉપાય ..



બાળક ચાલતા બોલતા શીખે ત્યારે ..


અંકલ ને શું કહ્યું બેટા તે ..


હા ..મળી ગયું ..દાદા દાદી ની વાત ..



કોઈ તમને રેગ્યુલર મેસેજ કરતુ હોય તો .. હા હા ..

કોઈ તમને રેગ્યુલર મેસેજ કરતુ હોય તો .. હા હા ..