ख्वाइशों से भरा पड़ा

ख्वाइशों से भरा पड़ा है घर इस कदर,,
रिश्ते ज़रा सी जगह को तरसतें हैं.!!!!!

मैं फकीरों से भी सौदा करता हूँ अक्सर..... 
जो एक रुपये में लाख दुआएं देता है....... .!!

क़ब्र की मिट्टी हाथ में लिए सोच रहा हूँ;
लोग मरते हैं तो ग़ुरूर कहाँ जाता है।

"बादशाह" तो वक़्त होता है 
खामखा इंसान गुरुर करता है !!