"श्री मद्-भगवत गीता"के बारे में-
ॐ . किसको किसने सुनाई?
उ.- श्रीकृष्ण ने अर्जुन को सुनाई।
उ.- श्रीकृष्ण ने अर्जुन को सुनाई।
ॐ . कब सुनाई?
उ.- आज से लगभग 7 हज़ार साल पहले सुनाई।
उ.- आज से लगभग 7 हज़ार साल पहले सुनाई।
ॐ. भगवान ने किस दिन गीता सुनाई?
उ.- रविवार के दिन।
उ.- रविवार के दिन।
ॐ. कोनसी तिथि को?
उ.- एकादशी
उ.- एकादशी
ॐ. कहा सुनाई?
उ.- कुरुक्षेत्र की रणभूमि में।
उ.- कुरुक्षेत्र की रणभूमि में।
ॐ. कितनी देर में सुनाई?
उ.- लगभग 45 मिनट में
उ.- लगभग 45 मिनट में
ॐ. क्यू सुनाई?
उ.- कर्त्तव्य से भटके हुए अर्जुन को कर्त्तव्य सिखाने के लिए और आने वाली पीढियों को धर्म-ज्ञान सिखाने के लिए।
उ.- कर्त्तव्य से भटके हुए अर्जुन को कर्त्तव्य सिखाने के लिए और आने वाली पीढियों को धर्म-ज्ञान सिखाने के लिए।
ॐ. कितने अध्याय है?
उ.- कुल 18 अध्याय
उ.- कुल 18 अध्याय
ॐ. कितने श्लोक है?
उ.- 700 श्लोक
उ.- 700 श्लोक
ॐ. गीता में क्या-क्या बताया गया है?
उ.- ज्ञान-भक्ति-कर्म योग मार्गो की विस्तृत व्याख्या की गयी है, इन मार्गो पर चलने से व्यक्ति निश्चित ही परमपद का अधिकारी बन जाता है।
उ.- ज्ञान-भक्ति-कर्म योग मार्गो की विस्तृत व्याख्या की गयी है, इन मार्गो पर चलने से व्यक्ति निश्चित ही परमपद का अधिकारी बन जाता है।
ॐ. गीता को अर्जुन के अलावा
और किन किन लोगो ने सुना?
उ.- धृतराष्ट्र एवं संजय ने
और किन किन लोगो ने सुना?
उ.- धृतराष्ट्र एवं संजय ने
ॐ. अर्जुन से पहले गीता का पावन ज्ञान किन्हें मिला था?
उ.- भगवान सूर्यदेव को
उ.- भगवान सूर्यदेव को
ॐ. गीता की गिनती किन धर्म-ग्रंथो में आती है?
उ.- उपनिषदों में
उ.- उपनिषदों में
ॐ. गीता किस महाग्रंथ का भाग है....?
उ.- गीता महाभारत के एक अध्याय शांति-पर्व का एक हिस्सा है।
उ.- गीता महाभारत के एक अध्याय शांति-पर्व का एक हिस्सा है।
ॐ. गीता का दूसरा नाम क्या है?
उ.- गीतोपनिषद
उ.- गीतोपनिषद
ॐ. गीता का सार क्या है?
उ.- प्रभु श्रीकृष्ण की शरण लेना
उ.- प्रभु श्रीकृष्ण की शरण लेना
ॐ. गीता में किसने कितने श्लोक कहे है?
उ.- श्रीकृष्ण जी ने- 574
अर्जुन ने- 85
धृतराष्ट्र ने- 1
संजय ने- 40.
उ.- श्रीकृष्ण जी ने- 574
अर्जुन ने- 85
धृतराष्ट्र ने- 1
संजय ने- 40.
अपनी युवा-पीढ़ी को गीता जी के बारे में जानकारी पहुचाने हेतु इसे ज्यादा से ज्यादा शेअर करे। धन्यवाद
अधूरा ज्ञान खतरना होता है।
33 करोड नहीँ 33 कोटी देवी देवता हैँ हिँदू धर्म मेँ।
कोटि = प्रकार।
देवभाषा संस्कृत में कोटि के दो अर्थ होते है,
कोटि का मतलब प्रकार होता है और एक अर्थ करोड़ भी होता।
हिन्दू धर्म का दुष्प्रचार करने के लिए ये बात उडाई गयी की हिन्दुओ के 33 करोड़ देवी देवता हैं और अब तो मुर्ख हिन्दू खुद ही गाते फिरते हैं की हमारे 33 करोड़ देवी देवता हैं...
कुल 33 प्रकार के देवी देवता हैँ हिँदू धर्म मे :-
12 प्रकार हैँ
आदित्य , धाता, मित, आर्यमा,
शक्रा, वरुण, अँश, भाग, विवास्वान, पूष,
सविता, तवास्था, और विष्णु...!
आदित्य , धाता, मित, आर्यमा,
शक्रा, वरुण, अँश, भाग, विवास्वान, पूष,
सविता, तवास्था, और विष्णु...!
8 प्रकार हे :-
वासु:, धर, ध्रुव, सोम, अह, अनिल, अनल, प्रत्युष और प्रभाष।
वासु:, धर, ध्रुव, सोम, अह, अनिल, अनल, प्रत्युष और प्रभाष।
11 प्रकार है :-
रुद्र: ,हर,बहुरुप, त्रयँबक,
अपराजिता, बृषाकापि, शँभू, कपार्दी,
रुद्र: ,हर,बहुरुप, त्रयँबक,
अपराजिता, बृषाकापि, शँभू, कपार्दी,