Kavita

*✨✨बहुत सुंदर पंक्तियाँ✨✨*

*"रहता हूं किराये की काया में,*
*रोज़ सांसों को बेच कर* *किराया चूकाता हूं...!*
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*मेरी औकात है बस मिट्टी* *जितनी,*
*बात मैं महल मिनारों की कर* *जाता हूं...!*
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*जल जायेगी ये मेरी काया* *एक दिन,*
*फिर भी इसकी खूबसूरती पर* *इतराता हूं...!*
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*मुझे पता हे मैं खुद के सहारे* *श्मशान तक भी ना जा सकूंगा,*

*इसीलिए जमाने में दोस्त बनाता हूँ ...!!"*